इंदौर.100 करोड़ का फर्जीवाड़ा करने वाले ऋण माफिया संजय द्विवेदी के यहां ईओडब्ल्यू की छापामार कार्रवाई में चौंकाने वाली जानकारियां सामन आई हैं। संजय के पांच ठिकानों से एग्रीमेंट और संपत्ति बंधक से जुड़े कागजात जब्त किए गए हैं। अलग-अलग कंपनी और डायरेक्टर्स के नाम से बनाई गईं बोगस सील भी जब्त की गई हैं।
ईओडब्ल्यू एसपी एसएस कनेश के मुताबिक, दो बोरी दस्तावेज कब्जे में ले लिए हैं, जबकि बाकी 23 बोरी को सील कर दिया है। एक टीम मुंबई स्थित दफ्तर की जांच के लिए भेजी जा रही है। वहां उसकी ऐसी ही 8 कंपनियां हैं। संजय ने इंदौर में बैठे-बैठे ही मुंबई की एक बैंक से 33 करोड़ रुपए का लोन ले लिया था।
जब निवेश हुआ, तब संजय जमानत पर था बाहर
डीएसपी आनंद यादव के मुताबिक संजय और नेहा की कंपनी डीएस कैपिटल में बीती तिमाही (सितंबर-दिसंबर) में 235 लोगों ने 50 लाख रुपए का निवेश किया। इस दौरान संजय जमानत पर बाहर था। जिस कंपनी में उसने निवेश करवाया, उसे सेबी से मान्यता नहीं है। उसने इस निवेश की जानकारी भी सेबी को नहीं दी। सेबी के नियमानुसार निवेश करने वाले हर व्यक्ति से एग्रीमेंट जरूरी है, वह भी नहीं मिला। दूसरी फर्जी कंपनी ई-बिज गेटवे के जरिए भी संजय ने काफी निवेश कराया।
ये सब जब्त...
- 25 बोरे दस्तावेज
- 250 से ज्यादा चेकबुक
- 04 कॉर्टन सील मिली
2012 से फर्जीवाड़ा कर रहा है संजय
डीएसपी यादव ने बताया कि संजय 2012-13 से ठगी कर रहा है। ऑनलाइन जारी होने वाले टेंडर के प्रिंट आउट निकालकर वह लोगों को प्रोजेक्ट मिलने का झांसा देता था। फिर उन्हें पार्टनर बनाता, उनकी संपत्ति बैंक में बंधक रखवाता और लोन निकाल लेता। संजय और पत्नी नेहा 2006-07 में एक निजी बैंक में नौकरी करते थे। यहीं दोनों ने सीखा कि किस तरह फर्जी कंपनी, दस्तावेज बनाकर लोन लिया जा सकता है। इसके बाद दोनों ने नौकरी छोड़ दी।
30 कंपनी, फिर भी कहीं काम नहीं किया
संजय, नेहा ने 30 कंपनी बना रखी थी। इनमें रियल एस्टेट से लेकर निवेश कंपनियां शामिल हैं, लेकिन हकीकत में कहीं भी इनकी फर्म ने काम नहीं किया। एसपी का कहना है कि संजय, नेहा के खिलाफ बेटमा और देपालपुर थाने में किसानों ने एफआईआर कराई थी। एक पीड़ित महेश पुरी ने 11 जनवरी को ही धोखाधड़ी करने सहित अन्य मामलों में केस दर्ज कराया। कोई कार्रवाई करते, इसके पहले ही पति-पत्नी फरार हो गए।