कोरोना काल में 26 मार्च से मुरैना में अनवरत चल रही गौ सेवा
मुरैना/ कोरोना के चलते जहां पूरे देश में लॉक डाउन है और हर व्यक्ति को घर पर ही रहने की हिदायत दी जा रही है। 25 मई से नौतपा भी शुरू हो गए हैं, और मुरैना में कोरोना मरीज की संख्या भी 88 के करीब हो चुकी है। ऐसे हालात में सेवाभावी नौजवानों का एक दल ऐसा भी है जो अपनी जान हथेली पर रखकर रोजाना गौ-सेवा में तल्लीन है। संकट काल में इन गौ-सेवकों ने सेवा-समर्पण की अनोखी मिसाल पेश करके साबित कर दिया कि मुरैना के नौजवानों के हौसले में चंबल का पानी बहता ही नहीं बोलता भी है।
सेवा से बड़ा कोई परोपकार नहीं है। सेवा चाहे मानव जीवन की हो या निराश्रित जीव जंतुओं की। वैश्विक महामारी कोरोना से संकट की इस घड़ी में हम सभी को चाहिए कि, सेवा के इस महत्व को समझें और दूसरों को भी इस ओर जागरूक करने की पहल करें।
कोरोना के खिलाफ एक तरफ सरकारी अमला इस महामारी से सीधे जंग लड़ रहा है, तो वहीं दूसरी तरफ समाजसेवी एवं सेवाभावी नौजवान भी कंधे से कंधा मिलाकर नि:सहाय और निराश्रितों के परोपकार में लगे हुए है, जो 26 मार्च से लाॅक-डाउन की मार झेल रहे हैं।
लाॅकडाउन के दौरान कोरोना काल में गौ-ग्रास ग्रुप के लगभग आधा सैकड़ा सेवाभावी लोगों के द्वारा नगर निगम क्षेत्र मुरैना में विचरण करने वाली गौ माता एवं निराश्रित जीव जंतुओं का ध्यान रखा जा रहा है। गौ सेवकों की इस टीम के द्वारा लाॅकडाउन के आरंभ से ही गोवंश को चारा वितरण किया जा रहा है।रोजाना 50 से 80 क्विंटल तक भूसा, हरा चारा, सब्जी, पीना एवं आटा मिलाकर चारा तैयार किया जाता है, और शहर के अलग-अलग स्थानों और गली मोहल्लों के चिन्हित स्थान जहां गोवंश और अन्य जीव बहुतायत में इकठ्ठे रहते हैं, वहां पर गौ सेवकों द्वारा बोरियों में भरकर ई-रिक्शा, ट्रैक्टर-ट्रॉली एवं छोटा हाथी के माध्यम से चारा पहुंचाया जाता है।
प्रातः 5 बजे से ही यह सेवा शुरू हो जाती है जो 11 बजे तक निरंतर चलती रहती है। 26 मार्च से यह सेवा अनवरत जारी है। जैसे-जैसे लाॅकडाउन बढ़ता जा रहा है, गर्मी भी अपने चरम पर है। ऐसे हालात में पशु-पक्षियों को पानी उपलब्ध कराना भी बहुत बड़ी जिम्मेदारी है। इस जिम्मेदारी को भी गौ-सेवकों की टीम ने बड़ी सहजता से संभाल लिया है।
नगर निगम क्षेत्र में जगह-जगह पानी के लिए सीमेंट की टंकी रखी गई है, और उन जगहों पर रोजाना ताजा पानी भरने के लिए स्थानीय व्यक्ति भी नियुक्त किए गए हैं। उद्देश्य यही है कि लाॅकडाउन के दौरान गौवंश के साथ-साथ निराश्रित जीव-जंतु व पशु-पक्षियों को भोजन व पानी की कमी ना रहे।
विश्व हिंदू परिषद के ग्वालियर विभाग के गौरक्षा प्रमुख बालकृष्ण शर्मा और उनकी टीम के द्वारा सेवा की जिस पराकाष्ठा के साथ गोवंश एवं निराश्रित जीव-जंतुओं की सेवा की जा रही है। वह पूरे देश के लिए एक मिसाल है। प्रशासन और सरकार को भी अपना ध्यान इस ओर आकृष्ट करना चाहिए। बगैर किसी सरकारी मशीनरी, बगैर किसी शासकीय अनुदान के यह गौ सेवा पिछले 65 दिनों से जिस उत्साह और आनंद के साथ समाज के सहयोग से चल रही है। इस निस्वार्थ सेवा समर्पण की तस्वीर से सरकार को भी सीख लेना चाहिए। सरकार के लिए बगैर कोई राशि खर्च करें यह गोसेवा किसी "पायलट प्रोजेक्ट" से कम नहीं।
इस संदर्भ में गौरक्षा प्रमुख बालकृष्ण शर्मा से चर्चा की गई तो उन्होंने बताया कि 25 मार्च को लाॅकडाउन की घोषणा होते ही हमारे कुछ गौ सेवकों के मन में आया कि अब सब कुछ बंद हो जाएगा तो इन निराश्रित जीवो की चिंता कौन करेगा। फिर कुछ लोगों के संकल्प के साथ यह सेवा शुरू की गई। धीरे-धीरे कारवां जुड़ता गया और समाज का सहयोग मिलता गया। गौ माता और गोविंद की कृपा से जैसे-जैसे लॉकडाउन बढ़ता गया, वैसे-वैसे ही इस सेवा के भी रास्ते खुलते गए।
हाल ही में केंद्रीय मंत्री श्री नरेंद्र सिंह तोमर के द्वारा कोरोना वॉरियर्स के रूप में ग्वालियर विभाग गौरक्षा प्रमुख बालकृष्ण शर्मा और बजरंग दल के विभाग संयोजक ओमकार राजपूत को गौ सेवा के लिए सम्मानित किया गया, लेकिन आज इन गौ-सेवकों के सेवा-समर्पण का निस्वार्थ संकल्प उस मुकाम पर पहुंच गया है, जहां किसी भी तरह का प्रमाण पत्र और उपहार उस सेवा के आगे कोई विशेष मायने नहीं रखता।
गौ सेवा के इस महाअभियान में बालकृष्ण शर्मा एवं ओमकार राजपूत के अलावा धर्मेंद्र शर्मा, रमाकांत मिश्रा, देवेंद्र मुदगल, देवेंद्र राठौर, हेमू पंडित, राधेश्याम पाठक, सचिन खटीक, अभिषेक शर्मा, अक्षय बघेल, धर्मेंद्र दांगी, रामनरेश बुधौलिया, जयकिशन भारद्वाज, शिव कुमार पचौरी, आकाश डंडोतिया, प्रफुल्ल डंडोतिया, मुकेश शर्मा, सौरव सुतेल, राम गोविंद शर्मा, ललित शर्मा, केपी सेंगर, प्रशांत मुदगल, बालकृष्ण शर्मा 2, के.पी.परमार, डॉ. रामरूप सिंघल, अशोक सोलंकी, सोमकांत दुबे, मनोज श्रीवास्तव, अमन गुप्ता, विवेक शर्मा, रामवीर घुरैया, अवधेश राठौर, रमेश कोरी, कमल राठौर, सोनेराम शर्मा, शैलेंद्र राठौर, आशीष शर्मा आदि सेवाभावी गौ सेवक जो कि अलग-अलग संगठन एवं संस्थाओं से सरोकार रखने वाले है, लेकिन जहां बात गौ माता के सेवा की हो तो समाज और विचारधारा से ऊपर उठकर सेवा के इस यज्ञ कुंड में अपना योगदान सुनिश्चित कर रहे हैं।
इन गौ सेवकों के अथक परिश्रम से लाॅकडाउन के 65 दिनों में 2900 क्विंटल चारा-भूसा की व्यवस्था मुरैना नगर में बिचरने वाले गोवंश के लिए की जा चुकी है। इसमें अभी तक लगभग 10 लाख रुपए व्यय हो चुका है। सोशल मीडिया के माध्यम से जानकारी मिलने पर नगर के कई लोगों ने गौ सेवा संकल्प के रूप में अपना हाथ आगे बढ़ाया और गोवंश की सेवा में प्राण पण से जुट गए। गौ माता और गोविंद की कृपा ऐसी रही कि दानदाता स्वयं से आगे आकर अपना संकल्प करने लगे।
ऐसे ही एक दानदाता दिलीप गोयल-दौलत हैं जो कि गाय के गोबर की मूर्तियां तैयार करते हैं, उनके द्वारा अभी तक अकेले ही 84 हजार रुपए का सहयोग किया जा चुका है। उनका कहना है कि गौ माता की कृपा पर ही उनका कारोबार है, इसीलिए लाभांश का एक बड़ा भाग माता की सेवा में समर्पण का संकल्प लिया है।
गौ सेवकों के अतुल्य सेवा कार्य के बारे में जैसे-जैसे नगर के लोगों को पता चल रहा है, तो समाज के विभिन्न वर्ग इन कोरोना वॉरियर्स को सम्मानित कर रहे हैं। नगर के ही भूसा कारोबारी अशोक शर्मा और अग्रवाल महासभा एवं माथुर वैश्य समाज द्वारा कोरोना वॉरियर्स के रूप में गौ सेवा की पूरी टीम को अंग वस्त्र एवं श्रीफल के साथ सम्मानित किया गया। लेकिन तेरा तुझको अर्पण के भाव के साथ गौ सेवकों ने अपना सम्मान गौ माता को ही समर्पित कर दिया।
गौ सेवकों की यह सेवा सिर्फ यहीं तक सीमित नहीं है। अगर ग्रुप के सेवकों को शहर में कहीं भी गोवंश के घायल एवं बीमार होने की सूचना मिलती है, तो सेवक तुरंत गोवंश की सेवा में पहुंच जाते हैं। गोवंश की यह चिकित्सा सेवा केवल लाॅकडाउन के समय ही देखने को नहीं मिल रही, बल्कि काफी लंबे अरसे से गौ सेवकों की यह सेवाभावी टोली अपनी निस्वार्थ निःशुल्क सेवाएं दे रही है। उपचार में जो व्यय आता है उसे स्थानीय समाजसेवी अपना समाज धर्म मानकर पूरा करते हैं।