राम जन्म भूमि मंदिर निर्माण आंदोलन के नीव के पत्थर। अयोध्या। जन्मभूमि पर मंदिर निर्माण हेतु दिनांक 5 अगस्त 2020 को अपने देश के जनप्रिय प्रधानमंत्री माननीय नरेंद्र मोदी जी भूमि पूजन का कार्य करने वाले हैं
और यह शुभ अवसर ऐसे ही नहीं प्राप्त हुआ है ऐसे भी संगठन रहे हैं ऐसे भी लोग रहे हैं जो राम जन्मभूमि मंदिर निर्माण के लिए एड़ी से चोटी एक किया है राम मंदिर निर्माण में जो बाधाएं थी उनको दूर करने के लिए संघर्षों का बेड़ा अपने हाथ में लेते हुए जन जागरण का कार्य किया उन्हीं में से एक है इस्लामीकरण विरोधी सेना के कमांडर मृदुल शुक्ला सन 1994 से 97 तक इस्लामीकरण विरोधी सेना शंखनाद के द्वारा मंदिर विरोधियों को ललकारने का कार्य किया था । ज्ञातव्य है कि लगभग 3 साल तक लगातार इस्लामीकरण विरोधी संकल्प का शंखनाद होता रहा अयोध्या नगरी की गलियों गलियों में प्रतिदिन निकलने वाली शोभायात्रा में सम्मिलित होकर हजारों हजार महिला पुरुष राम भक्तों ने पूरी दुनिया को यह बता दिया अयोध्या की शास्त्रीय सिंह सीमा के भीतर किसी प्रकार का इस्लामीकरण बर्दाश्त नहीं करेगा ज्ञातव्य है कि सन 1994 की बात है ।तत्कालीन उत्तर प्रदेश की समाजवादी पार्टी की सरकार अयोध्या में मक्का खुर्द का निर्माण करना चाहती थी लेकिन यह बात तत्कालीन विश्व हिंदू परिषद के नेता और पत्रकार स्वर्गीय लोकेश प्रताप सिंह को प्राप्त हुआ तो संगठन के लोगों (चंपत राय जी महेश नारायण जी अवध नारायण सिंह जी चंद्र प्रकाश जी अशोक सिंघल जी महंत अवैद्यनाथ जी महंत परमहंस दास जी) से बात विचार करके रातों-रात एक इस्लामीकरण विरोधी सेना संगठन तैयार किया जिसकी कमान तत्कालीन अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद से से छात्र संघ का चुनाव जीते साकेत महाविद्यालय के मंत्री मृदुल कुमार शुक्ला जी को सौंपा गया साथ में कुछ समय के छात्र नेता नेता जटाशंकर सिंह और राणा विजेंद्र बहादुर सिंह को सरकार द्वारा प्रायोजित अयोध्या का इस्लामीकरण और मक्का खुर्द विफल करने हेतु जिम्मेदारी सौंपी गई और देखते देखते ही देखते इन लोगों द्वारा पूरे देश में पूरे देश में इस्लामीकरण के विरुद्ध जोरदार आंदोलन किया गया जिसमें देश के प्रत्येक जिले में इस्लामीकरण विरोधार्थ संकल्प यज्ञ आयोजित कर कर के लोगों को जागरूक किया गया और उन्हें मंदिर आंदोलन से जोड़ा गया। इस्लामीकरण विरोधी सेना का उदय तत्कालीन सरकार द्वारा अयोध्या के इस्लामीकरण के लिए किए जा रहे विभिन्न प्रयासों के फलस्वरूप स्थानीय नौजवानों के भीतर से प्रस्फुटित हुई आक्रोश की ज्वाला थी 1 अगस्त 1994 को श्री राम जन्मभूमि उपन्यास के अध्यक्ष स्वामी परमहंस रामचंद्र दास जी स्वामी नृत्य गोपाल दास जी राम जन्मभूमि मुक्ति यज्ञ समिति के अध्यक्ष गोरख पीठाधीश्वर महंत अवैद्यनाथ जी एवं डॉ रामविलास दास वेदांती के साथ ही अयोध्या तत्कालीन विधायक लल्लू सिंह के नेतृत्व में मणिराम छावनी अयोध्या से लेकर पूरे देश में विशाल शोभायात्रा निकाली गई जिसमें संतों के अलावा राम भक्तों का हुजूम उमड़ पड़ता था दिगंबर अखाड़ा पर आयोजित विशाल इस्लामीकरण विरुद्ध संकल्प यज्ञ में आहुति डालने के पश्चात सभा में महंत अवैद्यनाथ ने कहा था कि इस्लामीकरण अयोध्या कि नहीं अपितु पूरे विश्व की समस्या है अयोध्या में तो लगातार 300 दिन तक विभिन्न मंदिरों में संकल्प यज्ञ आयोजित किया जाता था जिसमें पूरे देश के विभिन्न जनपदों से आए हुए राम भक्त श्री मणिराम दास छावनी से यज्ञ स्थल तक शोभायात्रा निकालते थे जिसमें राम जन्मभूमि के प्रस्तावित मॉडल का पूजन किया जाता था तत्पश्चात गाजे बाजे के साथ इस्लामीकरण विरोधी सेना के लाखों पट्टे धारी जवानों के नेतृत्व में निर्माण हुआ तो "खून बहेगा सडको पर" आज अयोध्या की धरती से सेना ने ललकारा है सुन लो सुन लो बाबर की औलाद हिंदुस्तान हिंदुस्तान हमारा है तथा जय श्री राम हर हर बम बम का उद्घोष करते हुए राम भक्त यज्ञ स्थल पर पहुंचते थे जहां बाबा अवधेश शुक्ला और अन्य रामायणीयों द्वारा पांच बार हनुमान चालीसा का पाठ कराया जाता था तत्पश्चात महंत अवैद्यनाथ और परमहंस रामचंद्र दास चंपत राय जी द्वारा इस्लामीकरण के विरोध में संकल्प करवाया जाता था डॉ रामविलास वेदांती के शिष्य डॉ राधवेश दास वेदांती के मुताबिक करोड़ो राम भक्त राम मंदिर निर्माण से जुड़े इस्लामीकरण विरोधी सेना के प्रति लोगों का रुझान को देखते हुए और सेना के प्रति नौजवानों का रुझान देखकर परमहंस रामचंद्र दास जी ने विभिन्न सभाओं में स्पष्ट कहा था कि हर स्वाभिमानी भारतीय सेना का अंग है जो भी व्यक्ति मक्का खुर्द सहित बाबरी मस्जिद के निर्माण का विरोध करता है गौ हत्या एवं उर्दू शिक्षा का विरोध करता है अयोध्या के शास्त्री सीमा के भीतर कदम कदम पर बनाए जा रहे फर्जी मस्जिदों मजारों एवं मदरसों के निर्माण का विरोध करता है वह नौजवान इस्लामीकरण विरोधी सेना का मान्यता प्राप्त सदस्य है राष्ट्रधर्म नामक पत्रिका के अक्टूबर 1994 में प्रकाशित लेख के माध्यम से पता चलता है कि परमहंस रामचंद्र जी सेना के निर्माण के उद्देश्यों के बारे में कहा था कि अयोध्या की शास्त्रीय सीमा के भीतर इस्लामीकरण को रोकना इस संगठन का मुख्य उद्देश्य है क्योंकि सरकार ने अयोध्या को इस्लामीकरण करने का मुख्य निशाना बनाया है इसके लिए 84 कोसी परिक्रमा पर पड़ने वाले पड़ाव पर भी एक दिवसीय संकल्प यज्ञ करवाया गया तथा सीमा रक्षक चौकिया भी बनाई गई थी इस्लामीकरण विरोधी सेना द्वारा सरयू तट पर आयोजित संकल्प यज्ञ में नैनीताल के युवा सांसद बलराज पासी को तलवार रामनवमी कवच भेंट किया गया था तथा सरजू नदी में खड़े होकर सेना के जवानों ने शास्त्री सीमा के भीतर इस्लामीकरण रोकने का संकल्प लिया था इस्लामीकरण विरोधार्थ संकल्प यज्ञ में मुख्य अतिथि बने चिता मुनि जी महाराज ने स्पष्ट रूप से कहा था कि अयोध्या में जो सेना द्वारा संकल्प यज्ञ हो रहा है उसकी ध्वनि पूरे देश में दुनिया में सुनाई देगी यज्ञ के माध्यम से संकल्पित हिंदू समाज और पूरे देश में सरकारी स्तर पर हो रहे इस्लामीकरण को रोकने के लिए खड़ा हो गया इस्लामीकरण विरोधी सेना के अन्य कार्यक्रम में दिल्ली के तत्कालीन सांसद बैकुण्ठ लाल शर्मा प्रेमजी ने ललकारते हुए कहा था कि आक्रमणकारी हिंदू राष्ट्र की सभी समस्याओं का एकमात्र समाधान है ही नहीं पूरे देश में इस्लामी समीकरण को रोकना होगा इस प्रकार से इस्लामीकरण विरोधी सेना के कमांडर इन चीफ मृदुल कुमार शुक्ला के नेतृत्व में अयोध्या से निकली हुई आवाज पूरे देश में इस्लामीकरण विरोध के रूप में मुखर होता रहा।
बर्तमान में डा मृदुल शुक्ल विज्ञान भारती ,अवध प्रान्त के सचिव भी है ।डॉ मृदुल शुक्ल अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद् से छात्र संघ से चुनाव तो जीते ही थे । इस्लामीकरण सेना के माध्यम से राम जन्म भूमि मंदिर निर्माण आंदोलन में भी अपने छात्र संघ के कार्य कल में बहुत ही महत्वपूर्ण भूमिका निभाए तथा देश के करोड़ो नवजवानो को जोड़ा । अखिल भारतीय बिधार्थी परिषद द्वारा उत्तर प्रदेश को कश्मीर नहीं बनने देंगे नामक आंदोलन का सफल नेतृतव भी आपने किया है विज्ञान भारती के अवध प्रान्त के सचिव है। तथा विज्ञान भारती एसोसिएशन ऑफ़ एन जी वो वो , इंडिया (विभा वाणी ) के उत्तर प्रदेश के चीफ कोऑर्डिनेटर भी रह रह चुके है। साथ ही साथ विज्ञान के मेघावी छात्र भी रहे है। साकेत महा विद्यालय अयोध्या से स्नातक और परास्नातक के बाद लखनऊ विश्वविद्यालय से वनस्पति शास्त्र और पर्यावरण में पीएचडी की डिग्री प्राप्त किया ।डॉ मृदुल शुक्ल अपने शोधो पर कई राष्ट्रीय पुरस्कार प्राप्त कर चुके डॉ मृदुल शुक्ल अपने अनूठे प्रयास मे लगे हुए है गॉवं गॉवं जाकर साइंस को सरल हिंदी भाषा मे समझाते है ग्रामीणों को, शिक्षित कर रहे है, अभियान मे उनके साथ देश विदेश के कई साइंटिस्ट जुड़ चुके है । इसके पहले डॉ शुक्ल को यु पी, प्रगति रत्न पुरस्कार , स्वर्गीय बल गोविन्द वर्मा स्मृति वैज्ञानिक पुरस्कार , उत्तर प्रदेश संस्कृति पुरस्कार ,साइंटिस्ट ऑफ़ दी ईयर अवार्ड, उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा युवा वैज्ञानिक पुरस्कार, डी यस टी भारत सरकार द्वारा विज्ञान समरसता पुरस्कार,, लैब तू लैंड अवार्ड, श्रेष्ठा गुरुजन अवार्ड, विज्ञान शिरोमणि अवार्ड , सी एस आई आर - एन बी आर आई द्वारा द्वारा बेस्ट रिसर्च पेपर अवार्ड भोजपुरी गौरव इत्यादि पुरस्कार प्राप्त हो चुके है ।इसके बावजूद भी उनके मन मे यह बात रही की कैसे देश के ग्रामीण इलाकों में मे विज्ञान की लहार ले जाई जाये। डॉ मृदुल शुक्ल ने विलेज अडॉप्टेशन मे बहुत है मत्वपूर्ण कार्य किया है, आपके सफल प्रयास से कई ग्रामीण महिलाओ ने विभिन्न विज्ञान परक कार्यक्रम के द्वारा के द्वारा अपनी आर्थिक स्थिति मजबूत किया है । डॉ शुक्ल द्वारा लिखित पुस्तक पेड़ पौधों द्वारा गंगा नदी प्रदूषण का प्रबंधन काफी लोकप्रिय है । गंगा नदी के किनारे बृछारोपण मे काफी मददगार है ।जब भी मृदुल शुक्ल अपने घर खखाइजखोर, गोरखपुर जाते थे वह का पिछड़ापन देखकर उनका मन रो परता था जब की देश के ग्रामीण छेत्रो मे वैज्ञानिक की अच्छी तादाद मौजूद है फिर भी इलाका बाढ़, बीमारी वेरोजगारी से बेहाल है गावो मे विज्ञान का माहौल करने की ठानी और आज उनके साथ हज़ारो वैज्ञानिको का काफिला है , उन ग्राम के समस्याओ को समझकर वैज्ञानिको को लेकर गावो मे लेकर जाते है तथा विज्ञान के किन्ही विषयो को लेकर व्यख्यान देते भी है दिलाते भी है, अपने निदेशकों से परमिशन लेकर छुट्टी के दिनों शनिवार और रविवार को गावो मे विज्ञान जागरूकता कार्यक्रम करते है तथा ग्रामीणों की जिज्ञासा का समाधान भी करते है ।विज्ञान के छेत्र के कई स्वयं सेवी संगठनों के माध्यम से वैज्ञानिको को गॉवं गॉवं ले जाते है । डॉ शुक्ल विश्व के सबसे ख्यातिलब्ध शोध एवं विकास के संगठन सी एस आई आर-एन बी आर आई, लखनऊ मे अधिकारी के पद पर रहते हुये भी छुट्टी के दिनों मे जब नौकरी पेशा वाले लोग कई तरह से मनोरंजन करते है लकिन डॉ मृदुल शुक्ल आपने समय किसी गौवं या स्कूल कॉलेज मे लेक्चर देते है या प्रोग्राम के माध्यम से लोगो को जागरूक करते है विगत 20 -25 सालो मे वनस्पति , बायोटेक्नोलॉजी , पर्यावरण ,आउटरीच लेकर विज्ञान जागरूकता का हज़ारो कार्यक्रम डॉ मृदुल शुक्ल द्वारा करवाया जा चूका है इनके उपरोक्त कार्य को सी एस आई आर की पत्रिका विज्ञान प्रगति भी प्रकाशित कर चुकी है ।अधिकांश अंतरास्ट्रीय अधिवेशन मेट्रो सिटी मे आयोजित होते है लकिन डॉ शुक्ल वैज्ञानिको तथा अपने परिवार की मदद से साइंस कांफ्रेंस को निहायत ही ग्रामीण इलाकों मे मे आयोजित करते है । तथा ग्रामीणों की वैज्ञानिक जिज्ञासा का समाधान करते है।उनके द्वारा किये गया शोध कई अंतराष्ट्रीय जनरल मे प्रकाशित हो चूका है ।, डॉ मृदुल कुमार शुक्ल को लखीमपुरी के गोला गोकर्ण नाथ मे अटल बिहारी वाजपई वैज्ञानिक आउटरीच उत्कृष्ट पुरस्कार से सम्मानित किया गया है। डॉ शुक्ल को ये पुरस्कार देश के कोने कोने मे आउटरीच कार्यक्रम के माध्यम से देश के ग्रामीणों मे वैज्ञानिक दृटिकोण उत्पन्न करने के प्रसंसनीय योगदान के लिए दिया गया है । डॉ शुक्ल अपने छात्र जीवन से ही कुशाग्र बुद्धि के धनी है । डा मृदुल शुक्ल के पिता जी श्री राधे श्याम शुक्ल (उम्र ९५ वर्ष) भी विश्व हिन्दू परिषद के कार्यकर्ता रहे है । तथा राम शिला कार्यक्रम को जोर शोर से गोरखपुर और आस पास के जिलों में आयोजित किया था भी। राधेश्याम शुक्ल जी द्वारा अखिल भारतीय विज्ञान दाल का गठन किया गया है जो की सनातन धर्म को वैश्विक वैज्ञानिक धर्म बनाए के लिए कृत संकल्प है
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